भक्तामर स्तोत्र | आदिनाथ स्तोत्र | Bhaktamar Stotra (Sanskrit) | Adinath Stotra | Purnamati Mataji

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Jain kids(जैन किड्स) :-
भक्तामर-स्तोत्र’ का पाठ समस्त विघ्न-बाधाओं का नाशक और सब प्रकार मंगलकारक माना जाता है।
भक्तामर स्तोत्र की रचना आचार्य मानतुंगजी ने की थी। इस स्तोत्र का दूसरा नाम आदिनाथ स्तोत्र भी है। यह संस्कृत में लिखा गया है तथा प्रथम शब्द ‘भक्तामर’ होने के कारण ही इस स्तोत्र का नाम ‘भक्तामर स्तोत्र’ पड़ गया
भक्तामर स्तोत्र के पढ़ने का कोई एक निश्चित नियम नहीं है। भक्तामर स्तोत्र को किसी भी समय प्रात:, दोपहर, सायंकाल या रात में कभी भी पढ़ा जा सकता है। इसकी कोई समयसीमा निश्चित नहीं है, क्योंकि ये सिर्फ भक्ति प्रधान स्तोत्र हैं जिसमें भगवान की स्तुति है !
आर्यिका 105 पूर्णमती माता जी की आवाज में भक्तामर स्तोत्र (आदिनाथ स्तोत्र) संस्कृत
Bhaktamar Stotra in Sanskrit | Adinath Stotra in Sanskrit | Poornmati mataji bhaktambar ji | Sanskrit bhaktambar ji | पूर्णमति माताजी भक्तांबर जी

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